Saturday, May 26, 2018

नहीं आ पाती अब मुस्कराहट चेहरे पर


नहीं आ पाती अब मुस्कराहट चेहरे पर
आज फिर मन बनाया मुस्कराने का 
सामने आ गया फिर कोई वीभत्स वीडियो 
असहनीय चीत्कार एक बेबस पिल्ले की 
निरीह नन्हा सा कुत्ते का जिंदा शिशु
रस्सी से बाँधकर कोई बड़ी बेदर्दी से आग के ऊपर जला रहा था
असहनीय पीड़ा से वो बच्चा चीख चीख कर छटपटा रहा था 
एक निर्मोही मानसिक रोगी उसका वीडियो बना रहा था
परसों ही देखी थी एक निरीह वानर की बेरहम पिटाई 
कोई उसे रस्सी से लटकाकर बेल्ट से पीट रहा था 
एक राक्षस वीडियो का आनंद ले रहा था
जुम्मा जुम्मा सात दिन पहले ही
एक निर्दोष भारतीय को लव-जेहाद की आड़ में
आग के हवाले करते एक दरिंदे को देखा था 
बस करो बस करो अब और नहीं सहा जाएगा
बहुत सहनशीलता पैदा की थी हमने उन्हें झेलने की 
जानवरों की हड्डियाँ चबाते दरिंदों के साथ उठने बैठने की
नहीं सिखाना हमें अब मांसाहारी का अमानवीय दर्शन 
हमें तो सिर्फ इतना पता है कि कमजोर प्राणियों को तड़फाकर 
मासूमों की कोमल गर्दनों पर छूरी चलाकर तुम आनंद उठाते हो 
उनकी हड्डियों और रक्त से अपनी जिव्हा तृप्त करते हो 
हो गाय या फिर मुर्गा या फिर बकरी क्या फर्क पड़ता है 
हर बार निरीह मासूम ही सूली चढ़ता है 
समय रहते हुए सभी सावधान हो जाएं 
कहीं ऐसा न हो कि कोई तूफ़ान उठ जाए
पृथ्वी से इन दरिंदों को समूल मिटाने के लिए 
फिर से कोई परशुराम फरसा उठाले

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