"Harsh M Krishnatreya"
Nothing much has changed with the growing age
Nothing much has changed with the growing age
Childhood’s stubbornness just converted into
compromises
Nothing much has changed in my outlook towards the world
Formerly, observed with open eyes and now through specs
Nothing much has changed in the ongoing life
Money purse got heavier whereas relations got lighter
Nothing much has changed between me and her
Had immense love once, now just ‘hatred’ is not
there
ज्यादा कुछ नहीं बदला उम्र बढ़ने के बाद
ज्यादा कुछ नहीं बदला उम्र बढ़ने के बाद
बस बचपन की जिद समझौतों में बदल गयी हैं।
ज्यादा कुछ नहीं बदला है दुनिया देखने के अंदाज में
पहले खुली आंखों से देखते थे अब चश्में चढ़ा लिए हैं
बस बचपन की जिद समझौतों में बदल गयी हैं।
ज्यादा कुछ नहीं बदला है दुनिया देखने के अंदाज में
पहले खुली आंखों से देखते थे अब चश्में चढ़ा लिए हैं
ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िंदगी में ,,
बस पर्स थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए ...
बस पर्स थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए ...
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